क्या सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना ठीक है?

इस लेख में, हम चर्चा करेंगे

  1. सेंसेक्स क्या है?
  2. सेंसेक्स का हिस्टोरिकल परफॉर्मेंस
  3. आपको सेंसेक्स में इन्वेस्ट क्यों करना चाहिए
  4. सेंसेक्स में इन्वेस्ट के नुकसान
  5. अन्य इंडेक्स के मुक़ाबले बीएसई सेंसेक्स के कुछ फ़ायदे:
  6. सेंसेक्स इन्वेस्ट पर विशेषज्ञ राय
  7. सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने से पहले विचार करने लायक फैक्टर
  8. सेंसेक्स में इन्वेस्ट कैसे करें
शेयर मार्केट भारतीय इकॉनमी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सेंसेक्स इसके परफॉर्मेंस के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले अलग-अलग इंडिकेटर में से एक है। सेंसेक्स, सेंसेटिव इंडेक्स का शॉर्ट फॉर्म है और यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) बेंचमार्क का इंडेक्स है। यह भारत की सबसे बड़ी और सबसे एक्टिव तरीके से ट्रेड होने वाली 30 कंपनियों के परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है। इन्वेस्टर के रूप में, आप सोच सकते हैं कि सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना ठीक है या नहीं। इस आर्टिकल में बीएसई सेंसेक्स इन्वेस्ट करने से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों, इसके फ़ायदे और रिस्क, और इन्वेस्ट से पहले ध्यान दिए जाने वाले ज़रूरी फैक्टर पर गौर कर "क्या सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना ठीक है?" के सवाल का जवाब ढूँढने की कोशिश की गई है। इस पोस्ट के अंत तक आप अच्छी तरह समझ जाएंगे कि सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना आपके लिए सही है या नहीं।

सेंसेक्स क्या है?

भारतीय शेयर मार्केट में सेंसेक्स सबसे लोकप्रिय स्टॉक मार्केट इंडेक्स है। यह शुरुआती भारतीय बेंचमार्क में से एक है। इसमें भारत के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में ट्रेड होने वाली कंपनियों में से टॉप 30 चुने हुए स्टॉक शामिल हैं। ये 30 स्टॉक कुछ सबसे बड़ी कंपनियों के हैं और सबसे अधिक ट्रेड होने वाले स्टॉक हैं। सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में हुई थी और इसे एसएंडपी चलाता है। इसकी कैलकुलेशन भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर दोनों करेंसी में की जाती है। यह मार्केट कैपिटलाइज़ेशन-वेटेड और फ्लोट-एडजस्टेड है। यह इंडिकेटर भारतीय इकॉनमी का महत्वपूर्ण पहलू है। सेंसेक्स 31 मार्च, 2023 को भारतीय समय के अनुसार 03.15 पर 1.72% की बढ़त के साथ 58955.53 पर था।

सेंसेक्स का हिस्टोरिकल परफॉर्मेंस

सेंसेक्स बीएसई में लिस्टेड 30 प्रमुख कंपनियों के परफॉर्मेंस को उनकी लिक्विडिटी, ट्रेडिंग वॉल्यूम और इंडस्ट्री में प्रतिनिधित्व के आधार पर ट्रैक करता है। यह 1978-79 के बेस वैल्यू 100 के साथ एक फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन-वेटेड इंडेक्स है। सेंसेक्स ने भारत की इकॉनमी और ग्लोबल मार्केट में बदलाव के मद्देनज़र अपनी स्थापना के बाद से कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। यह बुल और बेयर मार्केट, मंदी और क्रैश, और बूम एवं बस्ट के कई दौर से गुज़रा है। नीचे दिए गए टेबल में पिछले 5 साल के सेंसेक्स के क्लोज़िंग वैल्यू को दिखाया गया है:
साल क्लोज़िंग वैल्यू
2018 36068.33
2019 41306.02
2020 47751.33
2021 58,253.82
2022 60,840.74

आपको सेंसेक्स में इन्वेस्ट क्यों करना चाहिए

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स है और इसमें इन्वेस्ट करने के कई संभावित फ़ायदे हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • डायवर्सिफिकेशन और एक्सपोजर

सेंसेक्स में इन्वेस्ट कर, आप बैंकिंग, आईटी, एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, फार्मा और अन्य जैसे अलग-अलग सेक्टर की भारत की 30 सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली कंपनियों के मालिक हो सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी सारी इन्वेस्टमेंट को एक जगह रखे बगैर इन कंपनियों के डेवलपमेंट और इनोवेशन का फ़ायदा उठा सकते हैं। डायवर्सिफिकेशन आपके रिस्क को कम कर सकता है और समय के साथ आपके रिटर्न को बढ़ा सकता है।
  • संभावित ग्रोथ

1986 में अपनी स्थापना के बाद से 14% की औसत सालना रिटर्न के साथ, सेंसेक्स दुनिया के सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाले इंडेक्स में से एक रहा है। सेंसेक्स ने 2008 की ग्लोबल फिनांशियल रिसेशन और 2020 के कोविड-19 पैनडेमिक जैसे संकट की अवधि के दौरान लचीलापन और रिकवरी भी दिखाई है। सेंसेक्स भारतीय इकॉनमी की ताक़त और गतिशीलता को दिखाता है, जो आने वाले दिनों में डेमोग्राफिक डिविडेंड, शहरीकरण, डिजिटलीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट और रिफॉर्म से तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है।
  • टेबल इन्वेस्टमेंट ऑप्शन

सेंसेक्स में प्रॉफिटैबिलिटी और गवर्नेंस के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ स्थापित और प्रतिष्ठित कंपनियां शामिल हैं। छोटी या नई फर्मों के मुक़ाबले इन कंपनियों में दिवालिएपन या धोखाधड़ी की संभावना कम होती है। सेंसेक्स की टर्नओवर रेट भी कम है, जिसका मतलब है कि इसके घटक ज़्यादातर समान स्तर पर रहते हैं। इससे सेंसेक्स के परफॉर्मेंस पर मार्केट की अफवाह और अटकलों का असर कम होता है। डिविडेंड के ज़रिये सेंसेक्स इन्वेस्टर के लिए इन्कम का एक स्थिर और सुसंगत स्रोत प्रदान कर सकता है।

सेंसेक्स में इन्वेस्ट के नुकसान

  • वोलैटिलिटी

सेंसेक्स शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव और अनिश्चितताओं से अछूता नहीं है। इंटरेस्ट में बदलाव, इन्फ्लेशन, करेंसी की मूवमेंट, जीयो-पोलिटिकल टेंशन, ट्रेड वॉर, नेचुरल डिज़ास्टर या पैनडेमिक के कारण सेंसेक्स में तेज़ गिरावट या करेक्शन हो सकता है। सेंसेक्स दूसरे एमर्जिंग मार्केट या ग्लोबल इंडेक्स के परफॉर्मेंस से भी प्रभावित हो सकता है। हो सकता है सेंसेक्स शॉर्ट-टर्म होराइज़न या कम रिस्क झेल पाने वाले इन्वेस्टर के लिए उपयुक्त न हो।
  • ग्लोबल घटनाओं और राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित होता है

ग्लोबल इकनॉमिक और पॉलिटिकल माहौल और देश की पॉलिसी और रेगुलेशन सेंसेक्स को प्रभावित करते हैं। सेंसेक्स के सामने भारत और दूसरे देशों विशेष रूप से अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ जैसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर के बीच संबंधों के आधार पर चुनौती या अवसर आ सकते हैं। सेंसेक्स भारत की पॉलिटिकल स्टेबिलिटी और गवर्नेंस क्वालिटी से भी प्रभावित हो सकता है जो इन्वेस्टर के बिज़नेस सेंटिमेंट को प्रभावित कर सकते हैं।
  • कंज़र्वेटिव ऑप्शन

सेंसेक्स इंडिविजुअल स्टॉक या सेक्टर के मुक़ाबले अपेक्षाकृत कंज़र्वेटिव इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जिसमें हाई रिटर्न और रिस्क होता है। सेंसेक्स में भारत के शेयर मार्केट की सारी संभावनाएं शामिल नहीं होती, क्योंकि इसमें कई स्मॉल-कैप या मिड-कैप कंपनियों को बेहतर ग्रोथ की संभावनाओं या विशिष्ट किस्म के फ़ायदे वाली कंपनियां शामिल नहीं हैं। सेंसेक्स को व्यापक या ज़्यादा डायवर्सिफिकेशन के कम्पोज़ीशन वाले दूसरे इंडेक्स के साथ-साथ चलने की भी ज़रुरत हो सकती है।
इंडेक्स स्टॉक की संख्या एक्सचेंज बेस ईयर बेस वैल्यू सेक्टर का प्रतिनिधित्व इन्वेस्टमेंट के मौक़े
सेंसेक्स 30 बीएसई 1978-79 100 12 सेक्टर में डायवर्सिफिकेशन हाई
निफ्टी 50 50 एनएसई 1995-96 1000 13 सेक्टर में डायवर्सिफिकेशन हाई
बीएसई मिडकैप 101 बीएसई 2002-03 1000 18 सेक्टर में डायवर्सिफिकेशन मॉडरेट
निफ्टी मिडकैप100 100 एनएसई 2003-04 1000 17 सेक्टर में डायवर्सिफिकेशन मॉडरेट
बीएसई स्मॉलकैप 751 बीएसई 2002-03 1000 23 सेक्टर में डायवर्सिफिकेशन लो
निफ्टी स्मॉलकैप 100 100 एनएसई 2004-05 1000 16 सेक्टर में डायवर्सिफिकेशन लो

अन्य इंडेक्स के मुक़ाबले बीएसई सेंसेक्स के कुछ फ़ायदे:

  • इन्वेस्टर और मीडिया के बीच विश्वसनीयता और मान्यता के साथ सेंसेक्स भारत का सबसे पुराना और सबसे अधिक फॉलो किया जाने वाला इंडेक्स है।
  • सेंसेक्स में प्रॉफिटैबिलिटी और गवर्नेंस के अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाली भारत की सबसे बड़ी और सबसे अधिक लिक्विड कंपनियां शामिल हैं।
  • सेंसेक्स का टर्नओवर रेट कम है, जिसका मतलब है कि इसमें शामिल इकाइयां बार-बार नहीं बदलती हैं। इससे सेंसेक्स के परफॉर्मेंस पर मार्केट की अफवाह और अटकलों का असर कम होता है।
  • सेंसेक्स अन्य ग्लोबल इंडेक्स जैसे एसएंडपी 500 और एनएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स के साथ बहुत गहरे जुड़ा है। सेंसेक्स भारतीय इकॉनमी और ग्लोबल इकॉनमी के साथ इसके एकीकरण के लिहाज़ से अच्छा प्रॉक्सी है।

सेंसेक्स इन्वेस्ट पर विशेषज्ञ राय

  • बर्जर पेंट्स के सीईओ अभिजीत रॉय ने चौथी तिमाही में लगभग डबल-डिजिट में ग्रोथ की भविष्यवाणी की है और उनका मानना है कि भारत के मार्केट में प्राइस कम करने की कोई ज़रुरत नहीं है।
  • भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा को उम्मीद है कि रिटेल और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में मज़बूत मांग, सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रति प्रतिबद्धता और इंटरेस्ट रेट स्टेबल हो जाने के कारण फिनांशियल ईयर 2024 में 14-16% क्रेडिट ग्रोथ और एनआईएम विस्तार होगा।
  • महेश नंदुरकर इंडस्ट्रियल कंपनियों के शेयर, रियल एस्टेट और बैंक के प्रति आशावादी हैं जिनमें इन्वेस्टमेंट से प्रेरित ग्रोथ के संकेत दिख रहे हैं।
सेंसेक्स में सबसे अधिक प्रेडिक्टेबल सेक्टर को कवर करता है ताकि यह ग्रोथ की ओर बढ़ता रहे। ताज़ा एनालिसिस के अनुसार, बीएसई सेंसेक्स 30 (बीएसईएसएन) इंडेक्स 1.72%, की बढ़त के साथ 58,955.53 पर पहुंच गया है। इन्वेस्टर फोरम के टेक्निकल एनालिसिस, कैंडलस्टिक पैटर्न, न्यूज़ और ओपिनियन देख सकते हैं। मार्केट का अनुमान है कि फेडरल रिज़र्व मई 2023 तक इंटरेस्ट रेट बढ़ाकर 5% कर देगा। शेयर मार्केट के विशेषज्ञों के अनुसार, बेयर मार्केट का सबसे खराब दौर ख़त्म हो चुका है, स्टॉक वैल्यूएशन अब पिछले साल के मुक़ाबले कम और अधिक रीज़नेबल है।

सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने से पहले विचार करने लायक फैक्टर

सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने से पहले कई फैक्टर पर विचार करना ज़रूरी है। यहां कुछ प्रमुख फैक्टर दिए गए हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:
  • इन्वेस्ट का उद्देश्य और रिस्क प्रोफाइल: सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना उन लोगों के लिए अच्छा है जिनका होराइज़न लॉन्ग-टर्म है और रिस्क टॉलरेंस मॉडरेट है। सेंसेक्स समय के साथ स्थिर और लगातार रिटर्न देता है लेकिन अलग-अलग फैक्टर के कारण उतार-चढ़ाव और गिरावट के दौर से भी गुज़रता है। आपको सेंसेक्स में तभी इन्वेस्ट करना चाहिए जब यह आपके फिनांशियल गोल और रिस्क लेने की क्षमता के अनुरूप हो।
  • डायवर्सिफिकेशन की स्ट्रेटेजी: सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने से आपको भारतीय इकॉनमी और ग्लोबल इकॉनमी के साथ इसके एकीकरण का एक्सपोज़र मिल सकता है। यह आपको भारत के मार्केट के रिस्क और चैलेंज के करीब ला सकता है। रिस्क कम करने और रिटर्न बढ़ाने के लिए आपको अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग सेक्टर, इलाके और एसेट क्लास के आधार पर डायवर्सिफाय करना चाहिए।
  • कॉस्ट और फीस: सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने में अलग-अलग तरह के कॉस्ट और फीस शामिल होते हैं, जैसे ब्रोकरेज चार्ज, ट्रांजैक्शन चार्ज, सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी), स्टांप ड्यूटी, जीएसटी और फंड मैनेजमेंट फीस। ये कॉस्ट और फीस आपके रिटर्न में सेंध लगा सकते हैं और आपके नेट प्रॉफिट को प्रभावित कर सकते हैं। सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने से पहले आपको अलग-अलग ब्रोकर और फंड हाउस की कॉस्ट और फीस की तुलना करनी चाहिए।
  • फंड का चयन: सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने के लिए कई फंड हैं, जैसे ईटीएफ, इंडेक्स फंड। ये फंड बगैर रिसर्च या इंडिविजुअल स्टॉक खरीदे कम कॉस्ट, पैसिव और डायवर्सिफिकेशन वाले एक्सपोज़र प्रदान करते हैं। हालाँकि, इन फंडों में भी अलग-अलग फीचर हो सकते हैं, जैसे ट्रैकिंग एरर, डिविडेंड पॉलिसी, टैक्सेशन, लिक्विडिटी और उपलब्धता। आपको वह फंड चुनना चाहिए जो आपकी ज़रूरतोंऔर प्राथमिकताओं के अनुकूल हो।

सेंसेक्स में इन्वेस्ट कैसे करें

आपके पास सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने के कई तरीके हैं। सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं: 1. सेंसेक्स के शेयरों में सीधे इन्वेस्ट करना - आप उन कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं जो सेंसेक्स की अंग हैं। बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स में 30 स्टॉक शामिल हैं, और आप इन शेयरों में स्टॉक ब्रोकर या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के ज़रिये इन्वेस्ट कर सकते हैं। 2. एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) - आप ईटीएफ के ज़रिये सेंसेक्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं, जो सेंसेक्स इंडेक्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक करते हैं। ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज में खरीदा और बेचा जा सकता है, जिससे इन्वेस्टर को डायवर्सिफिकेशन का फ़ायदा मिलता है।
ETF  LTP  Volume Values In Rs.Lakhs 
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स ईटीएफ 642.3 7171 45,71,512.50
एचडीएफसी सेंसेक्स ईटीएफ 633 5785 36,41,888.90
यूटीआई एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स ईटीएफ 615.88 451 2,77,283.82
एलआईसी एमएफ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड - सेंसेक्स 628.41 61 38,368.39
3. इंडेक्स फंड - ईटीएफ की तरह, इंडेक्स फंड सेंसेक्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक करते हैं और इन्हें म्यूचुअल फंड कंपनियों के ज़रिये खरीदा और बेचा जा सकता है। 4. म्युचुअल फंड - सेंसेक्स में इन्वेस्ट करने का दूसरा तरीका है म्युचुअल फंड के ज़रिये इवेस्टमेंट करना, जिसे प्रोफेशनल फंड मेनेजर मैनेज करते हैं और वे शेयरों के डायवर्सिफिकेशन वाले पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट करते हैं।

निष्कर्ष

अंत में, सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना उन लोगों के लिए बुद्धिमानी भरा फैसला है जो अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाना चाहते हैं और लॉन्ग टर्म में बढ़िया रिटर्न हासिल करना चाहते हैं। लगातार ग्रोथ और स्टेबिलिटी के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, सेंसेक्स नौसिखिए और अनुभवी दोनों किस्म के इन्वेस्टर के लिए लोकप्रिय ऑप्शन बन गया है। हालांकि, यह याद रखना ज़रूरी है कि इन्वेस्टमेंट में हमेशा कुछ रिस्क होता है। इन्वेस्टमेंट से जुड़े कोई भी फैसले लेने से पहले एक फिनांशियल एडवाइज़र के साथ रिसर्च और कंसल्ट करना महत्वपूर्ण है। यह ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि समय के साथ आपके इन्वेस्ट के वैल्यू में उतार-चढ़ाव हो सकता है, इसलिए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की स्ट्रेटेजी अपनाना ज़रूरी है। कुल मिलाकर, यदि आप खुद को एजुकेट करने और जानकारी के आधार पर फैसला लेने के लिए समय निकालने के इच्छुक हैं, तो सेंसेक्स में इन्वेस्ट करना वेल्थ क्रिएशन और अपने फिनांशियल लक्ष्यों को हासिल करने का शानदार तरीका हो सकता है। इसलिए, यदि आप छलांग लगाने के लिए तैयार हैं, तो आज ही सैमको के साथ अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी प्लान करना शुरू करें!
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